क्या शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाई जाती है ? भगवान शंकर की पूजा में तुलसी का प्रयोग किया जाना उचित है अथवा नहीं?
महादेव के भक्त जब शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं तो यह सवाल कभी न कभी उनके मन में भी जरूर आया होगा। शास्त्रों के अनुसार तुलसी को शिवलिंग पर चढ़ाना शुभ है या नहीं और इसका कारण पूरी तरह भी जानना जरूरी है।
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क्या शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाई जाती है? शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाना सही है अथवा नहीं ?
इंटरनेट पर विभिन्न प्रसिद्ध वेबसाइट्स जैसे हिंदुस्तान, वेबदुनिया आदि पर प्रकाशित लेख के आधार पर तुलसी को शिवलिंग पर चढ़ाना गलत माना गया है। तुलसी को शिवलिंग पर न चढ़ाने के पीछे कारण यह है कि देवी वृंदा के पति राक्षस राज जालंधर का वध भगवान शिव ने किया था।
लेकिन शास्त्रों में दिये गये साक्ष्यों के आधार पर देंगे हम इसका जवाब । शिव पुराण में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि तुलसी का भगवान शिव से कोई बैर है या महादेव को तुलसी प्रिय नहीं है।
शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाए अथवा नहीं – क्या लिखा है अलग-अलग हिंदू ग्रंथों में?
क्या तुलसी को शिवलिंग पर चढ़ाना उचित है? तुलसी को शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए या नहीं इस संदर्भ में कौन से ग्रंथ में क्या लिखा है, आइये जानते हैं।
शास्त्रों में वर्णित 5 प्रमाण जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि शिवलिंग पर तुलसी को चढ़ाना गलत नहीं है।
हमारे हिंदू धर्म में कई ग्रंथों में दिये गये श्लोक हमें यह बताते हैं कि तुलसी से भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इस संन्दर्भ में अलग-अलग ग्रंथों में दिये गये 5 प्रमाण निम्नलिखित हैं।
ब्रह्म पुराण के अनुसार शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाने से नहीं लगता है ब्रह्म दोष
हिंदू धर्म में 18 पुराणों की सूची में ब्रह्म पुराण सबसे पहले स्थान पर आता है। ब्रह्म पुराण में विभिन्न घटनाओं को विस्तार से बताया गया है जो कि सृष्टि के जन्म से लेकर श्री राम व श्री कृष्ण की कथाओं से संबंधित हैं। ब्रह्म पुराण में एक श्लोक दिया गया है जो कि शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाना उचित है अथवा अनुचित इस बारे में हमें स्पष्टता प्रदान करता है।
ब्रह्म पुराण में दिया गया यह श्लोक इस प्रकार है –
लिंग अभ्यर्चितं दृष्ट्वा प्रतिमां केशवस्य च |
तुलसी पत्र निकरैर्मुच्यते ब्रह्मा हत्यया |
ब्रह्म पुराण के इस श्लोक में यह बताया गया है, जो भी व्यक्ति शिवलिंग पर या भगवान विष्णु की प्रतिमा की पूजा तुलसी के पत्तों से करता है उसे ब्रह्महत्या का दोष नहीं लगता है।
शिव पुराण में वर्णित दो श्लोक बताते हैं कि शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाना है बिल्कुल उचित
हिंदू धर्म में शिव पुराण की महिमा के बारे में कौन नहीं जानता। शिव पुराण के रूद्र संहिता के सृष्टि खंड में एक नहीं बल्कि दो श्लोक दिये गये हैं।
शिव पुराण में दिया गया पहला श्लोक इस प्रकार है –
भुक्तिमुक्तिफलं तस्य तुलस्या पूजयेद्यदि |
अर्कपुष्पैः प्रजापश्च कुब्जकह्रारकैस्तथा ||
शिव पुराण के सृष्टि खंड़ के अध्याय-14 में दिये गये इस श्लोक संख्या 28 की पहली पंक्ति में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति तुलसीदल से भगवान शिव की पूजा-आराधना करता है उसे भक्ति व मुक्ति दोनों ही सुलभ प्राप्त हो जाती हैं।
शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाने के नियम के संदर्भ में शिव पुराण में दिया गया दूसरा श्लोक इस प्रकार है –
कुशपुष्पैश्च धत्तूरैर्मन्दारैद्रौणसंभवैः |
तथा च तुलसीपत्रैर्बिल्वपत्रैर्विशेषतः ||
शिव पुराण के रूद्र संहिता के सृष्टि खंड़ के अध्याय-13 में दिये गये श्लोक संख्या 63 दिया गया है।
इस श्लोक में यह वर्णन किया गया है कि कुश पुष्प, धत्तूर, मंदार, द्रोणपुष्प (गुमा), तुलसीदल तथा बिल्वपत्र चढ़ाकर भक्ति के साथ भगवान शिव शंकर की पूजा करें।
धार्मिक ग्रंथ निर्णयसिंधु में है यह वर्णित कि तुलसी सहित पांच बिल्व पत्रों से करनी चाहिए भगवान शिव की आराधना
निर्णयसिंधु हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है जिसकी रचना स्मृतिसंग्रकार कमलाकर भट्ट ने संवत 1668 (1612 ई.) में की थी।
निर्णयसिंधु ग्रंथ के पृष्ठ संख्या 227 पर श्रीशिव पूजन भाग के अन्तर्गत क्या तुलसी से शिव की पूजा करनी चाहिए इस संदर्भ में दिया गया श्लोक इस प्रकार है –
तुलसीबिल्वनिर्गुएडीजंबीरामलकं तथा |
पंच्चबिल्वमिति ख्यातमेकबिल्वं शिवार्पणम् ||
निर्णयसिंधु में वर्णित इस श्लोक में तुलसी, बिल्व, निर्गुण्डी, जंबीर व मलकं जिन्हें पांच बिल्व पत्रों के नाम से जाना जाता है शिव पर अर्पण करना चाहिए। अर्थात इन पांच बिल्व पत्रों से भगवान शिव की पूजा-आराधना करनी चाहिए।
प्रमुख ग्रंथ नारद पुराण के अनुसार प्रभु विष्णु को अर्पण की जाने वाली वस्तुएं भगवान शंकर पर भी चढ़ाये जाती हैं
नारद पुराण में एक श्लोक के माध्यम से इस प्रश्न पर स्पष्टता प्रदान की गई है कि क्या शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाई जाती है । नारद पुराण, ब्रह्मा पुराण व शिव पुराण की तरह ही हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक है।नारद पुराण में विष्णु भक्ति के साथ-साथ शिक्षा, कल्प, ज्योतिष आदि शास्त्रों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
भगवान शिव पर क्या चढ़ाना चाहिए इस सन्दर्भ में नारद पुराण में वर्णित एक श्लोक (जिसकी पुष्टि वीरमित्रोदय पूजा प्रकाश नामक प्रसिद्ध पुस्तक भी करती है) इस प्रकार है –
विष्णोर्यानीह चोक्तानि पुष्पाणि च पत्रिकाः |
केतकीपुष्पमेकं तु विना तान्यखिलान्यपि |
शस्तान्येव सुरश्रेष्ठ शंकराराधनाय हि ||
इस श्लोक का अर्थ यह है कि भगवान विष्णु के लिए जो पत्र व पुष्प विहित हैं, वे सब भगवान शंकर पर भी चढ़ाये जाते हैं। केवल केतकी-केवड़े का निषेध है।
इसका अर्थ हुआ कि भगवान विष्णु को प्रिय तुलसी को भी भगवान शिव को अर्पण किया जाता है।
शास्त्रों में वर्णित उपरोक्त 5 प्रमाणों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाना बिल्कुल भी अशुभ या अनुचित नहीं है।
हमें उम्मीद है कि हमारे इस लेख को पढ़ने के बाद आपके मन में क्या शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाई जाती है इस बारे में जो भी संशय होंगे सब खत्म हो गये होंगे। अगर आप शिवलिंग पर तुलसी चढ़ानी चाहिए या नहीं इस बारे में अपने विचार साझा करना चाहते हैं तो अवश्य कमेंट बॉक्स में हमें लिखें। हमें आपके विचारों का इंतजार रहेगा।
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